इजराइल एक अनोखा देश

 दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक इजराइल . विश्वभर में यहूदी धर्म को मानने वाला एकमात्र देश इजराइल . इस देश का इतिहास भारत से काफी मिलता - जुलता है . भारत की तरह आजादी के बाद फिलिस्तीन भी तीन भागों में बंटा . जिसमें एक हिस्सा यहूदियों को इजराइल के रुप में मिला और बाकी दो हिस्सा अरबों को मिला . आज हम आपको फिलिस्तीन से अलग होकर बने इस नए देश इजरायल के जन्म की कहानी बताने वाले हैं 

 ईजरायल भारत के लिए काफी अहमियत वाला देश है . पहली बार कोई भारतीय पीएम इजरायल जा रहा है , इसलिए दोनों देशों में इस दौरे के लिए काफी उत्साह है . इजरायल का इतिहास भी भारत से ही मिलता- -जुलता है , पढ़ें आखिर क्या है इसका इतिहास ... दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक इजराइल . विश्वभर में यहूदी धर्म को मानने वाला एकमात्र देश इजराइल . इस देश का इतिहास भारत से काफी मिलता - जुलता है . भारत की तरह आजादी के बाद फिलिस्तीन भी तीन भागों में बंटा . जिसमें एक हिस्सा यहूदियों को इजराइल के रुप में मिला और बाकी दो हिस्सा अरबों को मिला . आज हम आपको फिलिस्तीन से अलग होकर बने इस नए देश इजरायल के जन्म की कहानी बताने वाले हैं . इजरायल - फिलिस्तीन में क्यों है दुश्मनी ? पढ़ें गाजा पट्टी का पूरा इतिहास शुरुआत फिलिस्तीन से करते हैं . फिलिस्तीन उस्मान साम्राज्य का हिस्सा था . 1878 में उस्मान साम्राज्य में 87 % मुस्लिम , 10 % इसाई और 3 % यहूदी लोग थे . 1900 ई . में पहली बार इजरायल की स्थापना की मांग उठी जिसे सीयनीज्म आंदोलन का नाम दिया गया . दूसरे विश्व युद्ध के बाद उस्मान साम्राज्य का पतन हो गया और ब्रिटेन फिलिस्तीन पर राज करने लगा . अंग्रेजों ने बेलफोर्स घोषणा कर के यहूदियों के लिए अलग देश की मांग का समर्थन किया . इसके पीछे उनकी " फूट डालो और शासन करो " की नीति थी .

 67 साल पहले भारत ने इजरायल को दी थी एक देश की मान्यता , 1992 से शुरू की बात इसके बाद अंग्रेजों ने यहूदियों के अप्रवासन की सहमती दे दी . इससे बड़ी संख्या में यहूदी फिलिस्तीन का रुख करने लगे . ये लोग फिलिस्तीन आकर जमीन को कब्जा कर खेती करने लगे . यहूदियों की बढ़ती संख्या और पहले से रह रहे अरब लोगों में इसके कारण हिंसा होने लगी . इसे देखते हुए 1930 में अंग्रेजों ने अप्रवासन को सीमित करने का फैसला लिया . लेकिन इससे मामला और बिगड़ गया . अप्रवासन सीमित करने के विरोध में यहूदी लड़ाकों का गठन होने लगा . वे लोग अरब के लोगों और ब्रिटिश राज को खत्म करने की कोशिश करने लगे . एक तरफ फिलिस्तीन में 1978 तक यहूदियों की संख्या महज 3 % था . जो कि बढ़कर 1938 में 30 % तक जा पहुंचा था . बॉर्डर की सुरक्षा और गंगा की सफाई , पढ़ें- इजरायल से क्या क्या लाएंगे मोदी ? इसके बाद भी गैर कानूनी तौर पर यहूदी फिलिस्तीन आते रहे . जिससे हिंसा में और ज्यादा बढ़ोतरी होने लगी . वे लोग ब्रिटिश राज के जुड़े संस्थानों पर हमला करने लगे . दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद भी जुलाई 1946 तक लागातर 6 सालों के युद्ध से ब्रिटेन कमजोर हो चला था . इसके बाद भी यहूदियों के अप्रवासन का सिलसिला जारी रहा . बढ़ती हिंसा को रोक पाने में नाकाम हो रही ब्रिटिश राज ने यूएन से इस मसले का हल निकालने को कहा . इसके बाद नवंबर 1947 में 

8:10 PM .. !! 4G + 42 67 साल पहले भारत ने इजरायल को दी थी एक देश की मान्यता , 1992 से शुरू की बात इसके बाद अंग्रेजों ने यहूदियों के अप्रवासन की सहमती दे दी . इससे बड़ी संख्या में यहूदी फिलिस्तीन का रुख करने लगे . ये लोग फिलिस्तीन आकर जमीन को कब्जा कर खेती करने लगे . यहूदियों की बढ़ती संख्या और पहले से रह रहे अरब लोगों में इसके कारण हिंसा होने लगी . इसे देखते हुए 1930 में अंग्रेजों ने अप्रवासन को सीमित करने का फैसला लिया . लेकिन इससे मामला और बिगड़ गया . अप्रवासन सीमित करने के विरोध में यहूदी लड़ाकों का गठन होने लगा . वे लोग अरब के लोगों और ब्रिटिश राज को खत्म करने की कोशिश करने लगे . एक तरफ फिलिस्तीन में 1978 तक यहूदियों की संख्या महज 3 % था . जो कि बढ़कर 1938 में 30 % तक जा पहुंचा था . बॉर्डर की सुरक्षा और गंगा की सफाई , पढ़ें- इजरायल से क्या क्या लाएंगे मोदी ? इसके बाद भी गैर कानूनी तौर पर यहूदी फिलिस्तीन आते रहे . जिससे हिंसा में और ज्यादा बढ़ोतरी होने लगी . वे लोग ब्रिटिश राज के जुड़े संस्थानों पर हमला करने लगे . दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद भी जुलाई 1946 तक लागातर 6 सालों के युद्ध से ब्रिटेन कमजोर हो चला था . इसके बाद भी यहूदियों के अप्रवासन का सिलसिला जारी रहा . बढ़ती हिंसा को रोक पाने में नाकाम हो रही ब्रिटिश राज ने यूएन से इस मसले का हल निकालने को कहा . इसके बाद नवंबर 1947 में  यूएन ने फिलिस्तीन को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला लिया . पहला हिस्सा यहूदियों को , दूसरा अरब को तीसरा येरुशलम .14 मई 1948 में अंग्रेजी राज खत्म हो गया और इजरायल ने खुद को एक आजाद देश घोषित कर दिया था .


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