वसंत पंचमी का इतिहास ,क्यों मनायी जाती है

नमस्कार सबसे पहले आप सभी को वसंत पंचमी की हार्दिक सुभकामनाये

आज हम बात करेंगे की आखिर वसंत पंचमी क्यों मनायी जाती है इसके पीछे का इतिहास क्या है ।
यह त्यौहार माघ के महीने में शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है जैसा की हम जानते हैं कि पूरे वर्ष को 6 ऋतुओं में बांटा गया है ये ऋतुएँ इस प्रकार हैं वसंत ,सरद,वर्षा, ग्रीष्म ,शिशिर, हेमंत ऋतु इन सभी ऋतुओं में वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना जाता है । इसी लिए इस दिन को वसंत पंचमी कहा जाता है और इसी दिन से वसंत पंचमी की सुरुआत मानी जाती हैं
यह समय बहुत अच्छा होता है मन प्रसन्न होता है चारो तरफ हरियाली होती है चारो तरफ फूलो की महक फ़ैल जाती और धरती पर सोना उगता है अर्थात फसल लहलहा उठती है
ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था
इसी लिए इस दिन माता सरस्वती की विशेष पूजा होती है माता सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है इसलिए इस दिन इनसे विद्या ,बुद्धि तथा कला का वरदान मांगा जाता है
इसदिन लोग पीले वस्त्र पहन कर तथा पिले फूलो से देवी की पुंजा करते है इस दिन लोग पतंग उड़ाते हैं और पीले चावल से बने मीठी सामग्री का सेवन करते हैं   
  वसंत पंचमी का  ऐतिहासिक महत्व

                                         
सी मान्यता है कि भगवान ब्रम्हा ने सृष्टि की रचना की थी और प्राणियों और मनुष्यों की रचना करने के बाद जब वो सृस्टि की तरफ देखते है तो उन्हें चारो तरफ मायूसी नजर आती है उन्हें किसी प्रकार का आनन्द प्राप्त नही होता है उन्हें ऐसा लगता है जैसे चारो तरफ सांति फैली हुई है उन्हें किसी प्रकास की वॉड़ी नही सुनाई देती है ये देख कर वो नीरस हो जाते हैं यह देखकर वो भगवान विष्णु के पास जाते हैं और उनकी आज्ञा से अपने कमंडल से धरती पर जल छिढकते है जैसे ही यह जल धरती पर गिरता है धरती पर कम्पन होने लगता है और चार भुजाओं वाली एक देवी प्रकट होती है उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में वर मुद्रा होती है बाकी हाथो में पुस्तक और माला होती है ब्रम्हा जी के अनुरोध पर देवी वीणा बजाती है जिससे समस्त संसार के प्राणियों को वाणी प्राप्त होती है। इसी पल के बाद देवी को सरस्वती कहा जाने लगा 
देवी ने वाणी के साथ में विद्या और बुद्धि भी दी इसी  लिए इसदिन को सरस्वती पूजा भी की जाती है
वसंत पंचमी हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है इस दिन को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है 
माता सरस्वती को अनेक नामों से जाना जाता है भगवती ,सारदा, वीणावादनी,वागेस्वरी, वाग्देवी मुख्य हैैं

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