भारत में आरक्षण की ब्यवस्था

नमस्कार
           आज हम बात करेंगे भारत में आरक्षण की ढांचे के बारे में
जैसा की  हम जानते है कि भारत एक बहुत बड़ा देश है अगर विविधिता की बात की जाये तो भारत दुनिया का ऐसा देश है जहाँ विविधिता में एकता है परंतु यह भी सच्चाई है इस देश में सामाजिक तथा आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा असमानता विद्दमान हैं इसी वजह से भारत में आरक्षण की आवश्यकता महसूस की गयी चलिये बात करते है भारत में इसके विभिन्न चरणों के बारे में
h2 style="text-align: left;"> आरक्षण का इतिहास
भारत में आरक्षण कि सुरुआत आजादी से बहुत पहले सुरु हो गयी थी 
सबसे पहले इसकी सुरुआत महाराष्ट्र के कोल्हापुर से हुई थी 
1902 में कोल्हापुर के महाराज साहूजी जी ने अपने राज्य में पिछडो को राज्य के प्रशासन में भागीदार बनाने के लिए उन्हें अलग से आरक्षण प्रदान किया इसको लागू करने के लिए बकायदा अधिसूचना जारी की गई थी तथा भारत में दलित वर्ग को आरक्षण देने का यह पहला प्रयास था ।
इसी प्रयास के तहत हमारे देश के संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर कोस्कालरशिप प्रदान की गई जिससे वो विदेश में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके।
भारत सरकार अधिनियम 1909 में आरक्षण का प्रावधान किया गया
1921 में मद्रास प्रिसिडेंसी ने एक आज्ञापत्र जारी किया जिसमें गैर ब्राह्मणों को 44 %  मुसलमानो को 16 प्रतिशत ईसाइयो को 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लिए 8 प्रतिशत और ब्राह्मणों को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया गया
1935 में कांग्रेस के अधिवेशन में दलितों के लिए एक प्रस्ताव पास किया गया जिसे पूना समझौता कहा  जाता है।
इसमें दलितों के लिए प्रथक निर्वाचन शीट की व्यवस्था की गई।
 इसके अलावा भारत सरकार अधिनियम 1935 में भी आरक्षण का प्रावधान किया गया 
1947 में भारत आजाद हुआ और बी आर आंबेडकर को संविधान की मसौदा समिति का प्रमुख बनाया गया जो किसी भी प्रकार के भेदभाव का निषेध करता है और सदियो से शोषित वर्ग के आरक्षण का भी प्रावधान करता है
आजादी के 10 सालों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व में समानता  लेन के लिए अलग से निर्वाचन chhetra की व्यवस्था की गई जो प्रत्येक 10 वर्ष में संविधान संशोधन द्वारा बढा दिया जाता है।

Comments

  1. 1921 में मद्रास प्रिसिडेंसी ने एक आज्ञापत्र जारी किया जिसमें गैर ब्राह्मणों को 44 % मुसलमानो को 16 प्रतिशत ईसाइयो को 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लिए 8 प्रतिशत और ब्राह्मणों को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया गया
    1935 में कांग्रेस के अधिवेशन में दलितों के लिए एक प्रस्ताव पास किया गया जिसे पूना समझौता कहा जाता है।
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